देश के मुकबाले प्रदेश में घटे बाघों की संख्या हर महीने पांच करोड़ खर्च फिर भी बाघों की संख्या में गिरावट, ये है सबसे बड़ी वजह।

ब्यूरो रिर्पोट जाज्वल्य न्यूज़ ,रायपुर।
देश में बाघों की संख्या बढ़कर 3167 हुई, पीएम मोदी ने जारी किया नया आंकड़ा
पीएम मोदी ने बाघों की संख्या के नए आंकड़े जारी किए. है
वही में बढ़ने बजाय घटे है छत्तीसगढ़ के वन विभाग के अफसरों की लापरवाही कहें या फिर उदासीनता मगर जंगलों से घट रही बाघों की संख्या ने वन्यप्राणयोंको चिंता में डाल दिया है।
आलम यह है कि पिछले वर्षों में करोड़ों खर्च करने के बाद भी बाघों की संख्या में निरंतर गिरावट दर्ज हो रही है। यह विषय वन अमला के लिए चुनौती बना हुुआ है मगर अफसरों को कोई फिक्र नहीं है।
छत्तीसगढ़ के वन विभाग के अफसरों को दो-दो चार्ज नहीं हो पा रही मानिटरिंग
जानकारी के अनुसार बाघों के संरक्षण के नाम पर हर महीने पांच करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं मगर मानिटरिंग का अभाव है। जंगह महकमे में छह पीसीसीएफ के पद हैं। वर्तमान में तीन ही पीसीसीएफ काम कर रहे हैं। इन तीनों पर दो-दो प्रभार है। ऐसे में वन विभाग के जिला स्तर के अधिकारियों पर तरीके से मानिटरिंग नहीं हो पा रही है।
छत्तीसगढ़ वन विभाग के पीसीसीएफ संजय शुक्ला से पूछने पर कि बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए उनकी क्या कार्ययोजना है, उन्होंने कहा कि यह निचले स्तर के अधिकारी ही बता पाएंगे। वन विभाग के प्रमुख होने के बाद भी संजय शुक्ला जवाब नहीं दे पाए। दरअसल, उनके पास राज्य लघु वनोपज संघ का भी प्रभार है।
2014 में 46 थी बाघों की संख्या
राज्य में तीन टाइगर रिजर्व हैं । इनमें इंद्रावती नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व अचानकमार और उदंती सीतानदी श्ाामिल हैं। ये रिजर्व 5,500 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र में फैले हुए हैं। 2014 में राज्य में 46 बाघ थे, लेकिन 2018 की जनगणना में यह संख्या घटकर 19 रह गई।
सरकारी आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के पिछले तीन वर्षों में 183 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, जबकि पिछली भाजपा सरकार के चार वर्षों के दौरान 229 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, इसके बावजूद बाघों की संख्या में कमी आई थी। ये राशि बाघों के संरक्षण, उनके लिए बेहतर सुविधाएं विकसित करने के लिए जंगलों में वृद्धि और शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ाने पर खर्च की गई थी।











