जिला अस्पताल निजी एम्बुलेंश का बन गया अड्डा,बेहतर ईलाज का झांसा देकर निजी अस्पतालों से कमा रहा है मोटी कमीशन।

जांजगीर-चांपा: जाज्वल्य न्यूज़ ग्राउंड रिपोर्ट कैलाश कश्यप = सरकार द्वारा नजरंदाज किए जानें के कारण 108 एम्बुलेंस और महतारी एक्सप्रेस 102 जिला अस्पताल से गायब होते जा रहे है, वही निजी एम्बुलेंस का जमावड़ा सायकल स्टैंड के सामने में रहता है, मरीजों के अटेंडर सहित अस्पताल आने जानें वालो को कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है।
सहयोगात्मक सेवा देने के आड़ कमा रहे है भारी भरकम कमीशन।
निजी एम्बुलेंस के ऑपरेटर लगातार मरीज के अटेंडरों से संपर्क साधे रहते हैं,और निजी अस्पतालों में कम दर और अच्छी ईलाज का लालच देकर अपने झांसे में ले लेते हैं जबकि निजी अस्पताल द्वारा जाल फैलाया गया है, हर तरह के मरीजों को विशेष ईलाज और रियायत दर में करने का झांसा देकर निजी एंबुलेंस के माध्यम से निजी अस्पतालों में मरीज लाने के एवज में एक निश्चित कमीशन निजी अस्पतालों से इनको मिल जाता है।
अस्पताल प्रबंधन के सहयोग हमेशा मिलता रहा है इसको नकारा नहीं जायेगा।
ड्यूटी में रहने वाले डॉक्टर और कर्मचारियों द्वारा ही तय कर लेते है की कौन से निजी अस्पतालों में मरीज को भेजना है चूंकि जिला अस्पताल में बैठे डॉक्टर और ड्यूटी में रहने वाले कर्मचारियों को बिना मेहनत एक निश्चित कमीशन जो मिल जाता है, और विषेश पैकेज के तहत् मरीजों को रिफर कर निजी अस्पतालों में लूटने के लिए मरीजों को भेज दिया जाता है। जिला अस्पताल से रिफर करने से पहले मरीज के अटेंडर को भय बना कर निजी अस्पताल जाने को प्रेरित किया जाता है, मरीजों के स्थित से वाकीफ होकर बनाया जाता है शिकार।
जिला अस्पताल में पदस्थ ड्राईवर का भी स्वयं का निजी एम्बुलेंश
कमीशन का नशा एम्बुलेंश मालिक पर इस क़दर छाया हुआ है कि अपना दायित्व से परे विजय थवाईत जिला अस्पताल में वाहन चालक के पद पर पदस्थ है, जबकि निजी अस्पतालों से कमाई के लिए दिनभर स्वयं के निजी एम्बुलेंश में सेवा दे रहे है। और सरकारी एम्बुलेंश अस्पताल के स्टैंड में धूल खाते दिखाई दे रहे है, इस वाक्या की पुरी जानकारी अस्पताल प्रबंधन को भली भांति है। जबकिआंख बंद कर सिर्फ दर्शक बने हुए है। इसका वजह ये भी है, कि कहीं अस्पताल प्रबंधन द्वारा लगाम लगाने से खुद के पदस्थ कर्मचारियों की कमाई में नुकसान ना हो जाए।
जिला अस्पताल में डॉक्टर अपने चेंबर से रहते हैं हमेशा गायब।
जिला अस्पताल में पदस्थ डाक्टरों द्वारा लगातार निजी अस्पतालों में सेवा दे रहें है तो कई डॉक्टर खुद की निजी क्लीनिक खोलकर 24घंटा सेवा सेवा दे रहे और इसे कारण जिला अस्पताल से हमेशा नदारत रहते हैं। पदस्थ डॉक्टर अपने सुविधा अनुसार ओपीडी टाइम तय कर लिए है जबकि दूसरा टाइम में मरीज को जांच रिपोर्ट मिलता है और डॉक्टरों के ना मिलने से मरीज बिना ईलाज कराए वापस जाना पड़ता है। प्रशासन को इस पर लेना होगा निर्णय जिससे दोनों टाइम ओपीडी लगे और दुरदराज से आए हुए मरीजों को बिना इलाज कराए निराश होकर लौटना ना पड़े।