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ग्राम परसतराई के मानसगायन में परस कला मण्डली ने भगवान विष्णु के दशम अवतार का वर्णन किया

श्रीराम जगत में एकता-अखंडता और शाश्वत जीवन की पहचान :अशोक हरिवंश

सिर्फ एक नाम नहीं हैं। राम हिन्दुस्तान की सांस्कृतिक विरासत हैं राम हिन्दुओं को एकता और अखंडता का प्रतीक हैं। राम सनातन धर्म को पहचान है। लेकिन आज हिन्दु धर्म के ही कुछ लोगों ने राम को राजनीति का साधन बना दिया है। अपनी ही सांस्कृतिक विरासत पर सवाल उठाते हैं। राम के अस्तित्व का प्रमाण मांगते हैं। राम सिर्फ दो अक्षर का नाम नहीं, राम तो प्रत्येक प्राणी में रमा हुआ है, राम चेतना और सजीवता का प्रमाण है। अगर राम नहीं तो जीवन मरा है। इस नाम में वो ताकत है कि मरा मरा करने वाला राम-राम करने लगता है। इस ना में वो शक्ति है जो हजारों-लाखों मंत्रों के जाप में भी नहीं है। उक्त बातें प्रख्यात कथा वाचक श्री अशोक हरिवंश ने कही है।

ग्राम परसतराई में परस कला मण्डली रामायण मण्डली द्वारा आयोजित मानस में श्री हरिवंश ने राम मिलेंगे और केवक के राम प्रसंग पर श्रोताओ को अलौकिक जानकारियां दिए। हिन्दू धर्म भगवान विष्णु के दशावतार (दस अवतारों) का उल्लेख

है। राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं। मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि राम का मॉनिटर एवं परक्रम महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य रामायण के रूप में लिखा गया है। बाद में तुलसीदास ने भी भक्ति काव्य श्री रामचरितमानस की रचनाकार राम को

आदर्श पुरुष बताया और राम का जन्म त्रेतायुग में हुआ था।

भगवान राम आदर्श व्यक्तित्व के प्रतीक हैं। परिदृश्य अतीत का हो या वर्तमान का, जनमानस ने राम के आदशों को खूब समझा-परखा है राम का पूरा जीवन आदर्शों, संघर्षो से भरा पड़ा है। राम सिर्फ एक आदर्श पुत्र ही नहीं, आदर्श पति और देखा नहीं।

भाई भी थे। भारतीय समाज में मर्यादा, आदर्श, विनय, विवेक, लोकतांत्रिक मूल्यों और संयम का नाम राम है। जो व्यक्ति संयमित, मर्यादित और संस्कारित जीवन जीता है, निःस्वार्थ भाव से उसी में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्शो की झलक परिलक्षित हो सकती है। राम के आदर्श लक्ष्मण रेखा की उस मर्यादा के समान है जो लांची तो अनर्थ ही अनर्थ और सीमा की मर्यादा में रहे तो खुशहाल और सुरक्षित जीवन।

राम जाति वर्ग से परे हैं। नर हो या वानर, मानव हो या दानव सभी से उनका करीबी रिश्ता है। अगड़े पिछड़े सब उनके करीब हैं। निषादराज हों या सुग्रीव, शबरी हो या जटायु सभी को साथ ले चलने वाले वे देव हैं। भरत के लिए आदर्श भाई । हनुमान के लिए स्वामी प्रजा के लिए नीतिकुशल न्यायप्रिय राजा हैं। परिवार नाम की संस्था में उन्होंने नए संस्कार जोड़े। पति पत्नी के प्रेम की नई परिभाषा दी। ऐसे वक्त जब खुद उनके पिता ने तीन विवाह किए थे। लेकिन राम ने अपनी दृष्टि सिर्फ एक महिला तक सीमित रखी। उस निगाह से किसी दूसरी महिला को कभी

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