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गोबर खरीदी बना ग्राम पंचायत सचिवो का जी का जंजाल, प्रतिदिन 2 क्विंटल खरीदी करने बना रहे दबाव।

ब्यूरो रिर्पोट जाज्वल्य न्यूज जांजगीर चांपा::प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी योजना नरवा गरवा घुरवा बारी में सरकार अमलीजामा पहनाने पानी की तरह पैसा बहा रहा है जबकि दूसरी ओर गोबर खरीदी का पैसा के साथ साथ वर्मी कंपोस्ट खरीदा गया समूह को भुगतान काफी दिनों से लंबित है वही गौठान का मूल उद्देश्य मवेशी को संरक्षित करना था जबकि इसके उलट गौठान में समूह द्वारा सब्जी भाजी, कुक्कुट पालन, मशरूम उत्पादन, इत्यादि बनाकर मूल उद्देश्य से परे हो चुके हैं।
प्रशासन का दंश झेलने पंचायत सचिव मजबूर।
सरकार के सामने जानकारी भेजने अपना वाहवाही लूटने पंचायत सचिव को लगातार गोबर खरीदने के लिए दबाव बनाया जा रहा है जबकि ग्रामीण गोबर बेचने किसी तरह दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं आखिर पंचायत सचिव गोबर लाए तो लाए कहां से वही प्रशासन जो सचिव लगातार गोबर खरीदी कर रहे हैं उसके ऊपर अतिरिक्त दबाव बना रहे हैं जबकि कई दबंग सचिव के ऊपर महीने भर गोबर नहीं खरीदी किया जाता उसके ऊपर कोई दबाव नहीं

प्रशासन की नाक बचाने खरीदा जा रहा फर्जी गोबर।
गांव में गोबर नहीं मिलने के बाद भी पंचायत सचिव फर्जी तरीके से गोबर खरीदी कर प्रशासन की नाक बचाने की जुगत में लगे हैं ग्रामीण क्षेत्र में मवेशी की संख्या पहले की अपेक्षा बहुत कम हो चुकी है जबकि ग्रामीण गोबर बेचने के बजाय स्वयं खाद और कंडा बना रहें जिसके वजह से गोबर नहीं मिल पा रहा है ऐसे में सचिवों की गले की फांस बनते जा रहा गोबर खरीदी।

पंचायत सचिव संगठन नहीं है गंभीर समस्या से चिंतित।
गोबर खरीदी के नाम पर पंचायत सचिव संगठन का मत भिन्न भिन्न होते जा रहा है, अधिकतर संगठन के पदाधिकारियों के पंचायतों में नहीं है गौठान जिसके वजह से संगठन के पदाधिकारी भी इस तरह के समस्याओं का समाधान करने आगे नहीं आ रहे हैं जिसके वजह से पंचायत सचिव को भविष्य में कई तरह के प्रशासन का दंश झेलना पड़ेगा एवं आने वाले समय में गोबर खरीदी को लेकर संगठन ठोस निर्णय नहीं पाता है तो सचिवों नौकरी करना दूभर हो जाएगा।
पंचायत सचिव बनकर रह गया है मोहरा।
गोबर से लेकर गौठान में हो रहे क्रियान्वयन कार्य में गौठान अध्यक्ष एवं सरपंचों का कोई मापदंड तैयार नहीं होने के कारण सिर्फ सचिव के ऊपर जिम्मेदारी का बोझ डाला गया है सरकार के इस निर्णय से पंचायत सचिव बेहाल हो चुके हैं क्योंकि गौठान अध्यक्ष और सरपंचों का सहयोग न मिलने से सरकार की महत्वकांक्षी योजना मूर्त रूप नहीं ले पा रहा है, जबकि सरपंच केवल निर्माण कार्य पर सिमट के रह गया है। और गौठान अध्यक्ष पद पाकर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

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